June 25, 2025
Bhinmal - Jalore (Raj)
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श्री रतना राईका

रतना राईका, जिन्हें रतना रायका के नाम से भी जाना जाता है, 15वीं शताब्दी के एक वीर, निष्ठावान और समर्पित रबारी योद्धा थे। उनका जन्म राजस्थान के जोधपुर जिले के बिकमकोर गांव में हुआ था। जन्म का समय विक्रम संवत 1401 की चैत्र सुदी पूर्णिमा का दिन बताया गया है। उनके पिता का नाम नताजी राईका और माता का नाम उगा देवी था।

इस विवरण में रतना राईका की धार्मिक और सामाजिक भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया है, जहाँ उन्हें बाबा रामदेव जी के घनिष्ठ मित्र और विश्वासपात्र के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह उनके जीवन की सबसे बड़ी पहचान मानी जाती है, जिससे उनकी निष्ठा, मित्रता और सेवा-भावना का पता चलता है।

यह विवरण रतना राईका को एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण व्यक्तित्व के रूप में दर्शाता है, जिनका योगदान सिर्फ रबारी समाज ही नहीं बल्कि राजस्थान के इतिहास में भी याद किया जाता है।

रतना राईका और बाबा रामदेव जी की मित्रता

रतना राईका को बाबा रामदेव जी का सखा और सहयोगी माना जाता है। उनकी मित्रता इतनी गहरी थी कि उन्हें कृष्ण के मित्र सुदामा की तरह बाबा रामदेव जी का सुदामा कहा जाता है। वे पोकरण दरबार में राजा अजमल जी के विश्वासी दरबारी और ऊँट सवार थे। राजा अजमल जी ने बाबा रामदेव जी के विवाह का प्रस्ताव लेकर रतना राईका को अमरकोट के राजा दलजी सोढ़ा के पास भेजा था।

पूंगलगढ़ की घटना

बाबा रामदेव जी की बहन सुगना बाई को विवाह में आमंत्रित करने के लिए रतना राईका को पूंगलगढ़ भेजा गया। वहाँ के पड़िहारों ने बाबा रामदेव जी के छुआछूत विरोधी विचारों के कारण रतना राईका का अपमान किया और उन्हें कारागार में डाल दिया। जब सुगना बाई को यह समाचार मिला, तो उन्होंने बाबा रामदेव जी को याद किया। बाबा रामदेव जी ने स्वप्न में यह देखा और तुरंत पूंगलगढ़ पहुँचे। वहाँ के पड़िहारों ने उन पर हमला किया, लेकिन उनके तीर फूलों की माला बनकर बाबा रामदेव जी के गले में पड़ गए। यह चमत्कार देखकर पड़िहारों ने क्षमा मांगी और रतना राईका को मुक्त किया गया।

रतना राईका का मंदिर

आज भी रतना राईका की वीरता और समर्पण की याद में राजस्थान के जैसलमेर जिले के रामदेवरा के पास वीरमदेवरा में उनका मंदिर स्थित है। यह मंदिर रबारी, राईका और देवासी समाज के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यहाँ ठहरने की उचित व्यवस्था है और यह स्थान रामदेवरा से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

रतना राईका की कहानी हमें मित्रता, समर्पण और साहस की प्रेरणा देती है। उनका जीवन बाबा रामदेव जी के साथ उनके अटूट संबंधों और समाज सेवा के लिए समर्पित था।