June 25, 2025
Bhinmal - Jalore (Raj)

रणछोड़भाई रबारी का इतिहास:

रणछोड़ भाई रबारी ने 1965 के युद्ध में निभाई थी अहम भूमिका
रणछोड़ भाई रबारी ने 1965-1971 ना युद्धों मां महत्वपुर्ण भूमिका बजावी हती
पाकिस्तान सेना पर भारी पड़ गया था रबारी

रणछोड़भाई रबारी

बात जब भारत और पाकिस्तान की हो, तो हर भारतीय के खून में उबाल सा आ जाता है। जब-जब भारत के वीर सपूतों के किस्से सुनाए जाते हैं, तो पूरा देश का बच्चा-बच्चा देश के लिए समर्पित हो जाता है।
जिस व्यक्ति को हमेशा ही शान्ति का प्रतीक माना गया हो, वैसे तो वह एक साधारण आम आदमी ही है। लेकिन 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान के युद्ध में भारतीय सेना का 'मार्गदर्शक बन' कर उन्होंने सैकड़ों पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटा दी थी।

रणछोड़भाई रबारी की एक ऐसी ही कहानी है जिन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 व 71 में हुए युद्ध के समय सेना का मार्गदर्शन किया, वह मानसिक रूप से भी मजबूत रहे। उनका निधन-2013 में 112 वर्ष की उम्र में उनके निवास स्थान बानासकांठा जिले की एक पोस्ट बाणेगांव में हुआ। रबारी भारत-पाक युद्ध के समय सरहद पर सेना की मदद के लिए एक पोस्ट के नाम मंदिर, गुजरात पहुंचे थे। इस पोस्ट का नाम उनके नाम पर 'रणछोड़ पोस्ट' रखा गया।

 

इस पोस्ट का नाम रणछोड़ भाई रबारी के नाम पर रख दिया गया था। इस पोस्ट पर तैनात एक जवान ने बताया कि रणछोड़ भाई रबारी के सानिध्य में पाकिस्तान की सेना को जबरदस्त शिकस्त दी गई थी। वह वाकई में बहादुर थे। उन्होंने बताया कि इस पोस्ट पर तैनात जवानों को रणछोड़ भाई रबारी के बारे में बताया गया है ताकि सैनिक उनसे प्रेरणा ले सकें।

आबूर बनासकांठा (गुजरात) में जन्में रणछोड़ भाई ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी। सीमावर्ती इलाकों के बारे में भारतीय सेना को गुप्त जानकारी देना और सेना को मार्गदर्शन देना उनका प्रमुख कार्य था। इसी युद्ध के समय उन्होंने पाकिस्तानी सेना (10 सैनिकों) को बंदी बनाकर भारतीय सेना को सौंप दिया था। इसलिए इस पोस्ट का नाम रणछोड़ पोस्ट रखा गया था।

इतना ही नहीं रणछोड़ भाई ने पाकिस्तानी सेना की एक पूरी टुकड़ी को भारतीय सेना से बचने के लिए मार्ग बदलने को मजबूर कर दिया। उन्होंने भारतीय सेना को न केवल मार्ग दिखाया, बल्कि शत्रु सेना के खिलाफ लड़ाई में भी मदद की थी। उनकी इस बहादुरी को देखते हुए भारतीय सेना ने इस पोस्ट का नाम रणछोड़ पोस्ट रख दिया था।

रणछोड़ भाई ने पाकिस्तानी सैनिकों को पकड़ा भी और भारतीय सेना को सही मार्ग भी दिखाया। रणछोड़ भाई ने खुद अपनी जान की परवाह किए बिना दुश्मन के बीच जाकर भारतीय सेना की सहायता की थी। उनकी बहादुरी की चर्चा उस समय हर जगह होती थी।

जब उन्होंने पाकिस्तान की सेना के एक खेमे पर कब्जा किया, तो पाकिस्तान की सेना बौखला गई। उनके मन में डर बैठ गया था कि अगर रणछोड़ भाई के जैसे और लोग हुए तो हमें बड़ी शिकस्त हो सकती है।

उनकी इसी बहादुरी को सलाम करते हुए 1965 में उस स्थान पर एक पोस्ट बनवाई गई, जिसका नाम ‘रणछोड़ पोस्ट’ रखा गया। आज भी वहां भारतीय सेना तैनात रहती है।

सेना ने उन्हें ‘सावाभाई’ नाम से पुकारना शुरू किया और उन्हें आज भी ‘रणछोड़ भाई सावाभाई रबारी’ के नाम से जाना जाता है। उनका निधन वर्ष 2013 में हुआ।

वर्ष 2008 में एक भव्य कार्यक्रम में सेना द्वारा उन्हें विशेष सम्मान से नवाज़ा गया था। कार्यक्रम में उनके पूरे जीवन संघर्ष को बताया गया और यह भी बताया गया कि उन्होंने कितने सैनिकों की जान बचाई थी।